Monday, February 17, 2025

अयोध्या में राम मंदिर, बाबरी मस्जिद की जगह बनाया गया है की कुछ बातें।

अयोध्या में राम मंदिर, बाबरी मस्जिद की जगह बनाया गया है. बाबरी मस्जिद को मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बनवाया था. बाबरी मस्जिद को तुग़लकी वास्तुकला में बनाया गया था. 

बाबरी मस्जिद से जुड़ी कुछ और बातेंः
बाबरी मस्जिद को 1528-29 में बनवाया गया था।
1940 के दशक से पहले, आधिकारिक दस्तावेज़ों में इसे मस्जिद-ए जन्मस्थान ("जन्मस्थान की मस्जिद") कहा जाता था।
6 दिसंबर, 1992 को विश्व हिंदू परिषद जैसे दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े हिंदू कार्यकर्ताओं के एक बड़े समूह ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। 
बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे।

राम मंदिर से जुड़ी कुछ और बातेंः 
राम मंदिर का निर्माण कार्य अगस्त 2020 में शुरू हुआ था।
22 जनवरी, 2024 को अर्धनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में हिंदू देवता राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई।
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आजादी को ढाई साल हुए थे।
दिसम्बर की वो सर्द शाम थी। 

गुरुवार 22 दिसम्बर की रात, कुछ लोग एक मस्जिद में घुसे, मूर्तियां रख दी। अगली सुबह शोर किया कि अमुक मस्जिद में प्रभु की मूर्तियां प्रकट हुई हैं, लोग दर्शन के लिए आए। 

भीड़ उमड़ने लगी। 

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बंटवारे के बाद देश, हिन्दू मुस्लिम दंगो में उलझा था। पुलिस ने परिसर बंद कर दिया। पूजा-नमाज दोनों बन्द हुई।

कब्जे के विरुद्ध मस्जिद के ऑर्गनाजर कोर्ट गए। मामला मूलतः प्रोपर्टी डिस्प्यूट का था। यानि जो जमीन, खसरा खतौनी कागज पर कुछ सौ साल से मस्जिद रही है, वहां अवैध कब्जा हो गया है। 

कोर्ट का फैसला 2019 में आया। जो खसरा खतौनी पर नही, जज साहब की आस्था पर आधारित था। 

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मामला 80 के दशक में अचानक राजनीतिक मुद्दा हो गया। आंदोलन, दंगे, अराजकता.. जो आज तक प्रवृत्त है। 

सिर्फ एक प्रोपर्टी का इतना असर!!

देश भर में हजारों प्रॉपर्टीज है, जो अराजकता, दंगे, मौतों का बायस बनाई जा सकती हैं। तो 1991 में नरसिंहराव सरकार प्लेसेज ऑफ वर्षिप एक्ट लाई। 

यानि जो धर्मस्थल 15 अगस्त 1947 में जिसका था, उसी में फ्रीज रहेगा। 
आप मन्दिर को मस्जिद, मस्जिद को गुरुद्वारा, गुरद्वारे को चर्च न बना सकते। 
अपने धर्म के भवन में नही बदल सकते। 

ये अच्छा, समझदारी भरा कदम था। हालांकि इसके दायरे में अयोध्या की प्रॉपर्टी नहीं रखी गयीक्योंकि वह 1991 के इस कानून के पहले से सब्ज्युडिस था। 

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ये बात तो हुई धार्मिक स्थलों की। 

सामाजिक स्थलों को भी इसी तरह से निशाना बनाया जा सकता था। जैसे दरगाह, मकतब, मदरसा, मकबरे या मध्यकालीन शासकों की प्रॉपर्टीज.. 

सरकार ने विस्तृत सर्वे करवाया, वेरिफाइड लिस्ट बनाई। सबका तमाम मालिकाना हक अपने पास लिया। 

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फिर एक बोर्ड बनाया। उसके पदाधिकारी सरकार चुनती है। बोर्ड को तमाम प्रॉपर्टीज का संधारण, अनुरक्षण, प्रबंधन करने का काम मिला।

सरकार ने एक CEO दिया (जो कोई IAS या सीनियर PCS होता है)। 
नगरपालिका जैसा - जिसमे एक CMO होता है, और तमाम पार्षद होते हैं। 

नगरपालिका CMO चलाता है, पार्षद नीति निर्धारित करते हैं। वैसे ही सरकार द्वारा नियुक्त बोर्ड मेम्बर, पेंट, पुताई, खर्चे, किराया वगैरह के फैसले करते हैं। इम्पलीमेंट CEO करता है। 

यही वक्फ बोर्ड है। सेंट्रल गवरमेंट का अलग है, राज्यो के अपने अपने बोर्ड हैं। 

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तो वक्फ बोर्डो को स्थानीय पटवारी, SDM तहसीलदार, कलेक्टर से वेरिफाइड, चेक्ड औऱ सीमांकित भूमि, और प्रोपर्टी की लिस्ट दे दी गयी है। 

पर सर्वे में कुछ गलती हो सकती है। 

तो बोर्ड से एक जज को सम्बद्ध किया। यह जज अमूमन हाईकोर्ट से रिटायर्ड बन्दा होता है, कॉंट्रेक्ट पर नियुक्त होता है। 

इसका काम है- किसी प्रोपर्टी पर कोई डिस्प्यूट आया, तो उसे रीजॉल्व करेगा। 

समझिए कि अगर कोई भी डिस्प्यूट करेगा, तो वह स्थानीय स्थानीय पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर से वेरिफाइड, चेक्ड औऱ सीमांकित भूमि के ऊपर डिस्प्यूट् कर रहा है। 

तो जज साहब पुनः चेक औऱ वेरिफाई कराएंगे। फैसला देंगे।

इस फैसले पर अपील नहीं होगी। 

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लेकिन रिवीजन पिटीशन डाली जा सकती है। 
दरअसल अपील, निचली कोर्ट के फैसले के खिलाफ, ऊपरी कोर्ट में लगती है। 

बराबर की कोर्ट में आप रिवीजन पिटीशन डालते हैं। शब्द अलग है, पर बात एक ही है। 

वक्फ कोर्ट में फैसला, एक सीनियर हाईकोर्ट जज ने दिया है, तो उसकी अपील नहीं, रिवीजन पिटीशन होगी। 

वहां हारे, सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते है। 

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उपरोक्त बाते लीगल, एडमिनिस्ट्रेटिव फ्रेमवर्क पर डिस्कशन है। इसे शान्ति से सुनकर, पढ़कर, बड़ी आसानी से समझा जा सकता है। 

इसके सेटअप, गुणदोष पर कोई बहस भी हो सकती है। लेकिन नफरती राजनीति गुस्से के माइंडसेट के बगैर हो नहीं सकती।

इसलिए आप देखेंगे कि ज्यादातर दंगाई मानसिकता के लोगो से विमर्श सम्भव नहीं। वे तीसरे वाक्य में राम, मुसलमान, औरँगजेब, जिहाद, तन से जुदा, 72 हूर, पाकिस्तान से लेकर बकरी तक, सब कुछ ले आएंगे। 

उनकी पॉलिटिक्स शांति में नहीं,विवाद में है।

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सरकार की भी,
और ज्यूडिशियली की भी..

प्लेसेज ऑफ वर्षिप एक्ट को अवैध घोषित करने की एक पिटीशन, सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में स्वीकार कर ली। फैसला उचित समय पर आयेगा। 

सरकार वक्फ स्ट्रक्चर बदलने में लगी हैं। भारतीय इतिहास के सबसे बेशर्म न्यायाधीश, कानून की किताब कूड़े में फेंक,अपनी आस्था पर किये फैसले पर इंटरव्यू दे रहे हैं। 

बाबा, धर्म संसद बनाकर फतवे दे रहे हैं। 
तो आगे भी कानून की जगह आस्था ही प्रोपर्टी मामलों का बेस बनेगी। 

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यह आस्था व्हाट्सप पर फैलाई जाएगी। लोग आस्था पर मरेंगे। कुम्भ हो, रेलवे स्टेशनया आपके पड़ोस में किसी टुच्ची वक्फ प्रोपर्टी के नाम पर भड़का कोई दंगा। 

आपके बच्चों की लाश पर चढ़कर, एक भीड़ जश्न मनाएगी।

~ ✍️ Manish Singh



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Q. संविधान में कहीं वक्फ का जिक्र नहीं है।यदि यह आवश्यक होता तो बाबासाहेब अम्बेडकर जी, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल जी इसका संविधान में उल्लेख करते।भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए वक्फ अधिनियम,आई एम डी टी एक्ट, पूजास्थल अधिनियम,रोशनी एक्ट लाया गया।जोकि बहुत शर्मनाक है। 
Ans. 
सविंधान में टेलीग्राफ, इंटरनेट, रामायण, महाभारत, ट्विटर, का भी उल्लेख नहीं। उसमे IPC, CRPC और भारतीय जनता पार्टी का भी उल्लेख नही। 
वह एक व्यवस्था संचालन का दिग्दर्शक डाकुमेंट है। लेकिन कमअक्ल आदमी इस तरह की बाते करता है।

Q. Why not start that from 1853?
Ans.
क्योंकि तुम जिस देश और व्यवस्था मे रहते हो, वह 1947 में बना। 1853 का हिसाब रानी विक्टोरिया से लो।


Note: इसको लिखने का उद्देश किसी को ठेस पहुंचाना नहीं है। जो सच है उसे पढ़ सकें। इसको लिखने में AI, Manish ji, औऱ कुछ कमेंट्स का मदद लिया गया है। 
आपके मन में कोई सवाल हो तो comments कर सकते हैं। 


क्या पाखंडी धीरेंद्र शास्त्री, 'किम जोंग उन' क़ो अपना रोल मॉडल मानते हैं?

धीरेंद्र शास्त्री को तो आप सभी जान रहे होंगे। जो अंधविश्वास को चरम पर ले जाने की काबिलियत रखता है। 
अपने आप को हिन्दू रक्षक बताता है जो इसके लिए defencive mechanism का काम करता है। 

ढोंगी धीरेन्द्र शास्त्री जिसने कहा था कि "कुम्भ में मरने वालों क़ो मोक्ष मिला है"। 

अब कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन क़ो अपना रोल मॉडल बता रहा है। 

हाल ही में 'धीरेंद्र शास्त्री' ने शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट में कहा उन्हें - North Korea का शासक किम जोंग उन बहुत पसंद है। 

क्युकी पाखंडी धीरेन्द्र शास्त्री का कहना है कि कोरोना काल में किम जोंग उन ने अपने उन सभी नागरिकों क़ो मरवा दिया था यानि साफ करवा दिया था, जिनको कोरोना हुआ था और इस तरह कोरोना फैलने से वहां रुक गया। 

ये काम इस पाखंडी क़ो बहुत पसंद आया था। 

सोचिए आम नागरिकों के प्रति इसकी सोच कैसी है? 

पाखंडी धीरेंद्र शास्त्री को जल्द से जल्द North Korea भेज दिया जाए। इस आदमी को शायद पता नहीं है वहां धर्म और देवताओं की पूजा नही होती है। 

वहां केवल एक धर्म है कम्युनिज्म और एक भगवान हैं- 'किम जोंग उन'।
इसी की लोगों को पूजा करनी पड़ती है। 

अगर किम जोंग उन किसी पर नाराज हुआ तो उसे अपने भूखे कुत्तों के पिंजरे में फेंक देता है।







Saturday, February 15, 2025

मोदी जी अमेरिका क्यों गए? और वहाँ से क्या लाए?


अमेरिका का ideology तो आपको पता ही होगा। उसमें से एक है  पूंजीवाद(Capitalism) का। America हर कुछ में अपना फ़ायदा देखता है। 

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उन्होंने अमेरिका के हितों को पहले रखा और प्राथमिकता दी.
आप भी देख रहे होंगे कि हमेशा अमेरिका भारत को निचा दिखाने की कोशिश कर रहा है। उसमें भी मोदी जी हैं जो जाने जाते हैं अच्छे वक़्ता के तौर पर मग़र हक़ीक़त तो सबको पता है, ऐसा प्रतीत होता है जैसे मानो उन्हें कुछ आता ही नहीं हो। प्रतीत होता है कि वो सही से American language को समझ भी नहीं पा रहे। 
खैर जो भी हो, हो तो बुरा ही रहा है। 

ट्रंप ने अमेरिका को प्राथमिकता देकर पत्रकार से अडानी पर सवाल पुछवाया। 
भारत रूस से 100 रुपए का तेल 80 रुपए में खरीद रहा है लेकिन ट्रंप ने भारत से कहा रूस के बदले हमसे महंगा तेल खरीदो और F-35 लड़ाकू विमान भी खरीदो। 

भारत में विदेशी मामलों के जानकार कहकर रहे हैं MODI जी अडानी को बचाने के लिए अमेरिका गए और इसी कारण डोनाल्ड ट्रंप इतना उछल कूद कर रहा है। 

मोदी जिसको बचाने के लिए सबकुछ लगा रहे हैं वो चाहे अडानी हो या हो अंबानी अभी तक देश को कुछ ऐसा नहीं दे पाया जिसे हम अमेरिका, यूरोप और चीन के बाजारों को दे पाएं। 
मित्रों, भारत Consumption Economy बनते जा रहा है। भारत को Manufacturing और Export Economy बनना चाहिए था। 


Thursday, February 13, 2025

पाकिस्तानी PM की हरकत पर गुस्से से हो गईं थी लाल - इंदिरा गांधी।

पाकिस्तानी PM की हरकत पर
गुस्से से लाल हो गईं थी इंदिरा गांधी...

* जिम्बाब्वे में पाकिस्तानी राष्ट्रपति से मिली थीं इंदिरा गांधी। 

* जिम्बाब्वे ने साल 1980 में तत्कालीन PM इंदिरा गांधी को अपने स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। उस कार्यक्रम में पाकिस्तान के तत्कालीन जनरल 'जिया उल हक' ने भी शिरकत की थी। हरारे के एक होटल में इंदिरा गांधी, जिया उल हक समेत दुनिया के तमाम बड़े नेता ठहरे हुए थे.

* जनरल जिया उल हक ने संदेश भिजवाया कि वे इंदिरा गांधी से मिलना चाहते हैं।

* भारत के पूर्व विदेश मंत्री और इंदिरा गांधी के ऑफिस में काम कर चुके नटवर सिंह ने अपनी किताब वॉकिंग विद लायंस में लिखा है कि जिया उल हक खुद इंदिरा गांधी से मिलने आए।

* जनरल जिया उल हक से मजाकिया लहजे में इंदिरा गांधी ने कहा, "दुनिया आपको लोकतांत्रिक कहती है और मुझे तानाशाह."

पाकिस्तानी राष्ट्रपति पर हो गईं थी गुस्सा! 
* नटवर सिंह लिखते हैं कि दोनो देश के नेताओं में काफी बातें हुई और जाते-जाते जिया उल हक ने इंदिरा गांधी को एक किताब गिफ्ट की। 

* इंदिरा गांधी ने जब उस किताब को खोला तो वह गुस्से से लाल हो गईं क्योंकि उसमें एक नक्शा छपा था, जिसमें कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था।

* नटवर सिंह बताते हैं कि वो खुद उस किताब को एक विरोध नोट के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को भेजे थे।

इंदिरा जी का जन्म और कुछ जानकारी बातें 
भारत के प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी का जन्म जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के घर में 19 नवंबर 1917 में हुआ, बात करें इंदिरा गांधी जी के दादाजी का नाम मोतीलाल जी नेहरू जो की बहुत बड़े वकील थे उस टाइम और इंदिरा गांधी जी का जन्म आनंद भवन में हुआ।
....... 
* इंदिरा गांधी जी के समय में 14 बड़े बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया गया, तांबा कोयला रिफाइनरी स्टील, सूती वस्त्र पर भी उन्होंने कार्य किया। इंदिरा गांधी जी ने इस तरह के कार्य कर महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उनके सख्त फैसलों के कारण ही उन्हें आयरन लेडी के नाम से जाना जाता है। 
...... 
* इंदिरा गांधी जी को आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता था उनके फैसला के कारण और इंदिरा गांधी जी की असली राजनीतिक शुरुआत हुई 1959 में जब उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 

क्या आपको पता है लाल बहादुर शास्त्री जी के कैबिनेट में इंदिरा गांधी जी शामिल थी या नहीं? 
हाँ, इंदिरा गांधी जी लाल बहादुर शास्त्री जी के मंत्रिमंडल (कैबिनेट) में शामिल थीं। उन्होंने 1964 से 1966 तक सूचना एवं प्रसारण मंत्री (Minister of Information and Broadcasting) के रूप में कार्य किया।

लाल बहादुर शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने इंदिरा गांधी को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। यह पद उनके लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे उन्हें प्रशासनिक अनुभव मिला, जो बाद में उनके प्रधानमंत्री बनने में सहायक सिद्ध हुआ।
....... 
इंदिरा गांधी जी ने देश को खाद्य आपूर्ति के लिए आत्मनिर्भर बनने का पूर्ण प्रयास किया और उसी समय हरित क्रांति जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए गए और उस समय बहुत अच्छी स्थिति नहीं थी जब भारत में इंदिरा गांधी जी प्रधानमंत्री बने थे तब हमारे दो युद्ध हो चुके थे।



Note: 
आप इस प्रकार के लिखे हुए पढ़ना पसंद करते हैं तो subscribe कर लीजिए।
आपको पढ़ कर कैसा लगा? कुछ सवाल मन में हो तो comment ज़रूर करें।
आपका यहाँ तक पहुचना और पढ़ना, मेरे लिए खुशी की बात है। 
आपको धन्यवाद! 🙏 

Tuesday, February 11, 2025

बंग्लादेश में हो गई आॅइल की कमी!

बांग्लादेश में आँइल की कमी हो गई है इस पर अनिल जी जो एक पत्राकार है जिनका ट्विटर id @AnilYadavmedia1 है वो चुटकी लेते हुए लिखते हैं - 

"बांग्लादेश में कुकिंग ऑइल की कमी हो गई है,
बोले तो ग्रोसरी स्टोर में भी स्टॉक खत्म हो चुका है,
महंगाई भी लगातार बढ़ रही है,
हाहाकार टाइप मचा हुआ है,

छह महीने पहले शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश साउथ एशिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था था,
फिर बोका C %&@ लोग क़ो सपना आया,
पाकिस्तान की तरह कट्टर बनने का,
तख्ता पलट कर दिया हसीना का,

और फिर 6 महीने में ही 
लवणेम भोज्यम की स्थिति आ गई है,

पाकिस्तान में आटा नहीं, यहाँ तेल नहीं,
फुलौरी बिना चटनी कईसे बनी 😂

मुझे ऐसे लिखने वाले बहुत ही अच्छे लगते हैं, ऐसा लिखते रहना चाहिए। 

Sunday, February 9, 2025

India Got Talent Shows से बच्चों को दूर ही रखना चाहिए नहीं तो आपके बच्चे रिश्तों की मर्यादाएं भूलकर हैवान बन जाएंगे।

India Got Talent Shows से बच्चों को दूर ही रखना चाहिए नहीं तो आपके बच्चे रिश्तों की मर्यादाएं भूलकर हैवान बन जाएंगे।

यह लोग हमारी आने वाली पीढ़ियों के दिमाग़ में जो भर रहे हैं इसे - 'गंदगी', 'दरिंदगी' , 'हैवानियत' जो भी कहा जाए वह कम है, छि छी छी छी कोई ऐसा सोच भी कैसे सकता है? 

समय रैना के शो पर रणवीर इलाहाबादिया कह रहा है-
"watch your parents have sex everyday of your life or would you join in once? ?" 

यह सवाल जिसके दिमाग़ में आ सकता है वह कितना बड़ा दरिंदा होगा और ये लोग ऐसा सवाल न जाने कितने करोड़ों लोगों के दिमाग़ में भर रहे हैं? 

इनसे अपने बच्चों को बचाओ नहीं तो आपके बच्चे रिश्तों की मर्यादाएं भूलकर हैवान बन जाएंगे।

ऐसे लोगों के साथ मोदी जी का मिलना जुलना जो देश के प्रधानमंत्री पद पर हो ये प्रधानमंत्री पद की गरिमा को भी ठेस पहुँचाता है।
जब प्रधानमंत्री इनके साथ मंच साझा करते हैं तो सीधा सीधा प्रधानमंत्री उसको प्रमोट कर रहे होते हैं। 
Sensor Board का तो कोई मतलब ही नहीं रह जाता है फिर। जब ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री ही प्रमोट करेंगे।

आश्चर्य की बात है कि मोदी जी की टीम क्या रिसर्च कर रही है? क्या वोट बैंक ही सब कुछ है? इससे आने वाले generations का road map क्या होगा? इससे अंदाजा लगाया जा सकता है।
अब आप ही बोलिए ऊपर वाले तस्वीर में जो लिखा है उसपर आपकी प्रतिक्रिया क्या होने वाली है? Comment कर ज़रूर बताए। 

राघव चड्ढा - दिल्ली चुनाव में सक्रिय रूप से नहीं दिखे? क्यूँ?


नाम: राघव चड्ढा 
पत्नी: परिणीति चोपड़ा 
काम: राजनेता
पद: राज्यसभा सांसद 
यह पद दिया किसने: अरविंद केजरीवाल 
बीमारी: आँख का इलाज़ 
ऑपरेशन : लन्दन में
समय: जब पूरी AAP जेल में थी
टैग लाइन: डर लगता है

राघव चड्ढा को AAP ने वो सब दिया जो किसी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के बेटे को भी इतनी कम उम्र पर नहीं मिलता मगर 

दिल्ली चुनाव में राघव चड्ढा कहीं दिखाई नहीं दिए, जहां दिखाई भी दिए वहां थोड़े थोड़े,

AAP ने जिसे सबकुछ दिया हो, उसने उल्टा AAP को "डरी हुई आँखें" और "सहमी हुई रूह" दे पाई।

Thursday, February 6, 2025

क्या सच में भारत का डंका बज रहा है जब...?


क्या सच में भारत का डंका बज रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय घुसपैठ को हाथों में हतकड़ी और पैरों में बेड़ियाँ के बाँध कर अमेरिकी सैन्य जहाज़ से भेज दिया वो भी मोदी जी को अमेरिका जाने से कुछ दिन ही पहले? 

विमान में मिलते अपने नागरिकों से कोलंबिया के राष्ट्रपति!
अमेरिका अपने यहां के अवैध प्रवासियों को उनके विभिन्न देशों में कैदी की तरह हाथ में हथकड़ी पैर में बेड़ियां बांध कर अपने सैन्य मालवाहक जहाज C-17 से यह संदेश देने के लिए भेज रहा है कि कोई अवैध तरीके से अमेरिका में घुसा तो उसका यही अंजाम होगा।

आप लोगों की जानकारी के लिये कोलंबिया की जनसंख्या मात्र 5.2 करोड़ है और विश्व में उसकी अर्थव्यवस्था 39 वें नंबर पर है। अमेरिका ने जब कोलंबिया के अमेरिकी प्रवासी लोगों को ऐसे ही मालवाहक C-17 से कोलंबिया भेजा तो वहां के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने इसका विरोध किया और अमेरिकी विमान को अपने यहां उतरने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। हवा में चक्कर लगाकर C-17 अमेरिका वापस चला गया।

फिर कोलंबिया ने अपने यहां से दो पैसेंजर एरोप्लेन अमेरिका भेजा और इज़्ज़त के साथ अपने नागरिकों को अपने देश में बुलाया।

प्लेन जब कोलंबिया की राजधानी "बोगोटा" पहुंचा तो उन्हें रिसीव करने वहां के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो जहाज़ के अंदर गये और अपने उन नागरिको से कहा

"अब आप आज़ाद हैं, और अपनी मातृभूमि पर हैं, आप निराश ना हों, सरकार आपके लिए हर संभव मदद उपलब्ध कराएगी और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराकर कोलंबिया में इज्ज़त की ज़िंदगी जीने में मदद करेगी"

भारत विश्व में तीसरी सबसे बड़ी 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है , परमाणु हथियार संपन्न शक्ति है,140 करोड़ की आबादी है और सबसे बड़ी बात कि हमारे पास दुनिया का सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं। अफ़सोस कि हम यह ना कर सके।