6."विलाप"
"मैं रोज़ रात सो जाता हुँ
और किताबें पढ़ता हुँ।
अजीब यह नहीं कि,
मैं सपने देख रहा होता हुँ।
अजीब तो यह है कि,
पुस्तक में बिखरे शब्द
इतने कठिन हो जाते हैं कि,
मैं पढ़ नहीं पाता,
और-तो-और
मैं उसे पढ़ना छोड भी नहीं पाता॥"
           -Satyam Kumar Singh
7.शब्द??? |
8.है क्या कसूर इतना बता |
9.कौन कहता, कि मैं रंग नहीं खेलता? |
5.मैं आज भी मुस्कुरा रहा हूँ |
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