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7. "शब्द???"


"शब्द???"


सुबह होता है, शाम होता है, रात होता है,
एक ही शब्द पर मेरा ध्यान टिका होता है।।
इन्ही शब्द को लिए कभी हँसना और मुस्कराना है,
इन्ही शब्द को लिए कभी हँसना और मुस्कराना है,
और होना कभी उदास है।।
ये मौसम भी क्या छाया है?
अनगिनत नमकीन बुन्दें भी साथ लाया है।
रह जाना इससे प्यास अधूरा है,
सूखे कंठ भी ना भिगो पाना है,
फिर भी दिलो में आस सज़ाना है।।
करता हूं मैं चर्चा हर लफ्ज़ में,
फिर भी डरता हूँ कहना शब्द में,
रहो बेफिक्र इन्ही लफ्ज़ में,
बदनामी का चिंता मुझे भी है,
कहना थोड़ा मुझे भी है।।

सुबह होता है, शाम होता है, रात होता है,
एक ही शब्द पर मेरा ध्यान टिका होता है ।।
मैं दे रहा हूँ हर लफ्ज़ में उत्तर,
फिर क्यूं नहीं दे पा रहा शब्द मैं उत्तर,
लगता जैसे शब्द अभी अधूरा है,
देखा हुआ खूआब अभी अधूरा है,
हो अगर साथ,
फिर करदु इसे पूरा हाथ।।

सुबह होता है, शाम होता है, रात होता है,
एक ही शब्द पर मेरा ध्यान टिका होता है।।
पढ़ता हूँ, तो यही शब्द,
लिखता हूँ, तो यही शब्द,
मिटाता हूँ, तो यही शब्द,
साथ खेलता, तो यही शब्द,
अगर साथ होता,
तो बन जाता हकीकत, यही शब्द।।
हर शब्द में बस्ता यही शब्द,
चाहे चाँद या सितारा कहूँ,
चाहे धरती या गगन कहूँ,
चाहे कलियाँ या पुष्प कहूँ,
चाहे पुकारु संसार।।

        _सत्यम् कुमार सिंह




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