17. "गुरु पूर्णिमा"


"गुरू पूर्णिमा"


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हो जिनके प्रति मन में सम्मान।
हो जिनके डाँटों में छुपा अद्भुत ज्ञान।
जिनके दिलों में बसता हो आशाओं की किरन।
जो सिखाता हो पहचानना अपने अंदर की किरन।
जो खुद अपने आग में जल कर फैलाता हो प्रकास।
जो न रखता हो किसी के प्रति मन में द्वेष।
जो न रखता हो किसी से भेद-भाव।
जो हमेशा चाहता हो बनो महान।
हो आपके चरणों में मेरा प्रणाम।
सदेव बना रहना चाहता
हूं आपका शिष्य।
🙏🙏🙏
🙏

              -सत्यम् कुमार सिंह




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