"कोई किसी का नहीं होता"
ऐ दिल, उसके लिए रोया ना करो, जिसने आज तक तुम्हें अनुकरण नहीं किया, उसे इतना भी अपना समझा ना करो। जिसे तुम अपना समझते हो, ये भूल होगा तुम्हारा। इस जहाँ में रुह की अपनी आत्माए तक नहीं होती, फिर वो क्या होगा तुम्हारा, जिसकी अपनी आवाज तक नहीं होती। दिलासा दिलाने वाले तो कईयों मिलेंगे, कहने को तो, खुद को तुम्हारा अपना बताएंगे, मगर भुल मत करना, किसी को अपना मत समझना। यह तो बोलचाल की भाषा है, आगे बड़ने का एक सहारा है। यहाँ कोई किसी का नहीं होता, अपने, शब्द है, शब्दों में ही रहने देना। अपने, शब्द है, शब्दों में ही रहने देना।।
              -✍️ सत्यम् कुमार सिंह 💞
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