13."अभी तो पूरा काम बाकी है"
आँखे बंद सी होने लगी है, अभी तो आधी रात बाकी है, सोऊँ कैसे? अभी तो पूरा काम बाकी है। दिल तो कर रहा है नाचने को, मगर नाचूं कैसे? अभी तो पूरा इम्तिहान बाकी है। समय भी परीक्षा ले रहा है, समय भी परीक्षा ले रहा है, धमकियां ठंड का दे जा रहा है, पुस्तके अपनी वजन बढ़ा रही है, ठहरुं कैसे? रक्त भी अपना तापमान बढ़ा रहा है।। कभी-कभार तो जगने की अलार्म सोने से पहले बज जाती है, दिल चाहता है सुबह की क्लास छोड़ दु, मगर छोड़ू कैसे?attendance भी तांडव मचा रहा होता है। आँखे भी अपना हक माँग रहा होता है।। आँखे खुले तो दर्श, प्रिय तुम्हारा होता है, आँखे बंद होते ही, सपनों पे भी हक, प्रिय तुम्हारा होता है, मुस्कुराता हू तो, आस-पास से कुछ आवाज़ें आ भटकती है, ऐसा लगता इसपर भी कब्ज़ा प्रिय तुम्हारा है।। देखने को हैं सैकड़ों चेहरे। मगर क्यू? मेरा दिन तो एक ही चेहरे पर गुजर जाता है।। लगा हू पूरा करने मे सपना, जो दिखा गया था एक तस्वीर सा अपना, पूरा बनाना है एक शहर सा अपना। आँखे बंद सी होने लगी है, अभी तो आधी रात बाकी है, सोऊँ कैसे? अभी तो पूरा काम बाकी है।। पुस्तके भी अपने कई रंग दिखाए हैं, ना जाने और कितने रंग दिखाएंगे, मैं तो था दुश्मन पहले खुद का, ना जाने अब तुम्हारा भी कहलाएंगे।। ऋणी हो गया हूं मैं अब, कब इसे हम चुका पाएंगे। खेलना तो मैं भुलाता नहीं, इसे कैसे भुला पाएंगे। अभी तो आधी रात बांकी है, सोऊँ कैसे? अभी तो पूरा काम बाकी है। सोऊँ कैसे? अभी तो पूरा काम बाकी है।
              -सत्यम् कुमार सिंह
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