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Wednesday, July 17, 2024

साँप को कैसे पहचानें? साँप के काटने पर क्या करें क्या ना करें?



🟢सांप काट ले तो तुरंत करें उसका उपचार, इन गलतियों से बचें। 

🟢कैसे पहचाने कि सांप जहरीला है या नहीं ?

🟢इस जानकारी को सेव कर ले और दूसरों तक शेयर करें, बरसात के मौसम में सांप काटने से जाने वाली जान इस सही जानकारी से बचाई जा सकती है I

सांप काटने पर सबसे जरूरी है कि उसके लक्षणों की पहचान कर उसका तुरंत उपचार करना।आजआपको बताएंगे कि यदि सांप काट ले तो क्या करेंऔर क्या ना करें। 👇👇 

🟢सांप के काटने पर क्या करें :

1.तुरंत एंबुलेंस को कॉल करें 
2.व्यक्ति को सांप से दूर ले जाएं।
3.यदि घाव दिल के नीचे है तो व्यक्ति को लिटा दें।
4.व्यक्ति को शांत और आरामपूर्वक से रखें और जहर को फैलाने के लिए जितना संभव हो सके व्यक्ति को स्थिर रखें।
5.घाव को ढीली और साफ पट्टी से कवर करें।
6.प्रभावित हिस्से से किसी भी गहने या टाइट कपड़े को हटा दें।
7.यदि सांप ने पैर पर काटा है तो जूतों को निकाल दें।
9.सांप के काटने के समय का ध्यान रखें।

🟢क्या न करें:

1.डॉ द्वारा निर्देशित किए जाने तक व्यक्ति को कोई दवा न दें।
2.यदि सांप के काटने का घाव व्यक्ति के दिल से ऊपर की ओर है
घाव को न काटें
3.जहर को बाहर चूसने का प्रयास न करें
4.घाव पर ठंडे संपीड़न, बर्फका प्रयोग न करें।
5.व्यक्ति को अल्कोहल या कैफीनयुक्त पेय न दें
6.पीड़ित को चलने न दें। उन्हें वाहन से ले कर जाएं।
7. सांप को मारने या पकड़ने का प्रयास न करें। यदि सम्भव हो तो सांप की तस्वीर ले। 
8.किसी भी पंप सक्शन डिवाइस का उपयोग न करें।

🟢सांप के काटने के लक्षण क्या हैं?
उल्टी ,शॉक ,अकड़न या कंपकंपी एलर्जी 
पलकों का गिरना ,घाव के चारों ओर सूजन, जलन और लाल होना 
त्वचा के रंग में बदलाव ,दस्त बुखार पेट दर्द ,सिरदर्द जी मिचलाना 
लकवा मारना ,पल्स (नब्ज) तेज होना ,थकान मांसपेशियों की कमजोरी ,प्यास लगना, लो BP

🟢कैसे पहचाने कि विषैला है या नहीं ?

भारत में सांपों की 250 प्रजातियां हैं, जिनमें से 4 सबसे अधिक घातक हैं। 
*कॉमन कोबरा (नाग ), 
*सॉ-स्केल्ड वाइपर, 
*कॉमन क्रेट और 
*रसेल वाइपर। 

1.जहरीले सांप का शीर्ष बहुत विशाल(त्रिकोण)होता है जबकि गैर जहरीले सांप का शीर्ष सामान्य होता है। (जैसा नीचे फोटो में दिखाया गया है )

2.आमतौर पर 2 दांत के निशान जहरीले सांप के होते हैं और छोटे-छोटे बहुत सारे निशान गैर जहरीले सांप के। 

Note:- स्वास्थ संबंधित जानकारी के लिए X पर फॉलो करें 
@drvikas1111  पोस्ट को रिट्वीट करें ताकि सही जानकारी से उनकी जान बचाई जा सके। 

🟢सांप काटने पर फर्स्ट ऐड -
सांप काटने की जगह को साबुन और पानी से धोना चाहिए ,साथ ही उस पर साफ/स्टाइल कपड़े से ड्रेसिंग कर सकते हैं। 

सांप काटने की जगह को ऊपर से बांध सकते हैं परंतु ,ज्यादा जोर से बांधने पर पैर/हाथ की ब्लड सप्लाई रुक जाता है और पैर/हाथ काटने की नौबत आ जाती है। #HealthTips #snake

राहुल के बुरे दिन कैसे शुरू हुए??

राहुल के बुरे दिन कैसे शुरू हुए?? 

शुरू हुए भट्टा परसौल से। किसानों की जमीन सरकारी प्रोजेक्ट के लिए लेने, और उचित मुआवजा न मिलने की समस्या को लेकर वे किसानों से मिलने जाना चाहते थे। 

यूपी सरकार ने रोका, तो वे नाटकीय तऱीके से मोटरसायकिल में बैठकर चले गए। यह पहली गलती थी। 
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दूसरी गलती थी, उड़ीसा में नियमगिरी का दौरा। यहां उन्होंने अपना फेमस जुमला बोला- आई एम योर सोल्जर एट डेल्ही.. 

राहुल, गरीबो का सिपाही बनने की कोशिश कर रहे थे। यह अच्छी बात तो नही थी। 

गरीबो का सिपाही बनने के लिए आपको अमीरों के किले पर चढ़ाई करनी पड़ेगी। और अमीर जब आपका मित्र ही हो, तो चढ़ाई क्यो करना?? 

क्योकि नियमगिरी और भट्टा परसौल के बाद भू अधिग्रहण क़ानून आया। किसानों को जमीन के चौगुने मोल मिले,लेकिन अमीरों के प्रोजेक्टों की कॉस्ट तो चौगुनी हो गई। यह कीमत मुनाफे में छेद करती है। नुकसान देती है। 

आखिर यह दुश्मनी क्यो निकाली राहुल ने?? 
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यूपीए-2 सरकार भी अपने पैरों पर जमकर कुल्हाड़ी मार रही थी। और उसमे आगे आगे थे- जयराम रमेश। 

वे पर्यावरण मंत्री थे। 

अब मंत्री को लालबत्ती कार लेनी चाहिए, बंगले में रहना चाहिए। चुपचाप फीते काटने चाहिए और नोट लेकर, नोटशीट पर दस्तखत करने चाहिए। पर मंत्रीजी एआईए- एसआईए स्टडी को पढ़ने लगे

जयराम रमेश ने अपना जॉब सीरियसली ले लिया। पर्यावरणीय मानकों पर सैंकड़ो प्रोजेक्ट रद्द किए, खारिज किया, फच्चर फंसा दिया। धनपशुओं के अरबो अधर में लटक गए।  

अब हाथियों के कॉरिडोर के लिए, माइंस प्रोजेक्ट को रोकने का काम, कोई बुद्धिमान नेता रोकता है क्या?? 

जिस देश मे अक्ल से बड़ी भैंस होती है, वहां हाथी बड़ा या उद्योगपति? आप बताओ। 
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एक के बाद ऐसे कई मामले हुए, और सरकार अमीर विरोधी सरकार बन गयी। 

लेकिन अमीरों के हाथ, सरकार से भी लम्बे होते है। और चैनल उनमे से एक होता है। 

देश के 30 में से 18 चैनल उसी के थे, जिसके लड़के के ब्याह में रिहन्ना नाचती है। लिहाजा सारे चैनल सुर बदलने लगे। 

जो घोटाले, पांच सात साल बाद, कोर्ट खारिज करने वाला था, उनका तुरत फुरत मीडिया ट्रायल चला। चैनल के पर्दे पर आपकी अदालत लगी। एंकरों ने मनमोहन सरकार को, टीवी पर दोषी करार दे दिया। 
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एक कंगारु कोर्ट रामलीला मैदान में भी लगाई गई। टीवी ने उसे 60-60 घण्टे का अनब्रोकन कवरेज दिया। इन कोशिशों से एकाएक, हवा बदलने लगी। 

दरअसल तूफान पैदा हो गया। 

जो बड़े बड़े पंखे लगाकर पैदा किया गया था। इन पंखों का कनेक्शन उन्ही घरानों से जुड़ा था, जिनके ब्याह में जस्टिन बीबर नाचता है। 
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सरकार बदली, और फिर उसी मीडिया ने पप्पूकरण शुरू किया। टीवी और सोशल मीडिया पर 5 साल, एकतरफा नरेटिव चला। 

पप्पू, पप्पू, पप्पू...

राहुल फिर भी लड़े। भीतर लड़े, बाहर लड़े, लेकिन अकेले। न कांग्रेस साथ थी, न जनता, न मीडिया, न सिस्टम। उस पर बीच चुनाव बालाकोट का ड्रामा। 

यूँ समझिये, 2019 में अभिमन्यु को घेरकर मारा गया। जो सरकार बदलनी चाहिए थी, मजबूत होकर लौटी। 

राहुल भी महज 8 सीटें बढ़ा सके। 
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इस्तीफे, और साल दो साल की उहापोह के बाद राहुल ने फिर सर उठाया। वह किया, जो पहले नही किया था। 

जनता से जुड़े। जो शब्दो से कह पाने में सफल न हुए, देहभाषा बोल गई। अब उसकी आंखें बोलती है, बदन बोलता है, देश सुनता है। 

समझता भी है। 
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पप्पू करण का वह दौर गुजर चुका है। राहुल मिट्टी पकड़ पहलवान की तरह अखाड़े में डटे हैं। पहले से कहीं ज्यादा मुखर, चमकदार, ताकतवर, निर्भय नजर आते हैं। 

लेकिन अंदाज वही अक्खड़ है। वे खेत मे दिख जाएंगे, नाई की दुकान में, किसी बढई या मिस्त्री की वर्कशाप में दिख जाएंगे, सड़को पर चलते दिख जाएंगे...

लेकिन आज भी यह बन्दा, उस ब्याह में नही दिखता जहां देश का सारा पोलिटीकल क्लास नाचता है। 
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यह तब जब सबसे बड़ा उद्योगपति, खुद न्योता लेकर दस जनपथ पहुँचा। राहुल नही मिले, वे भगदड़ में मरे लोगो को सांत्वना देने चले गए। मणिपुर चले गए। गुजरात चले गए। 

एंटीलिया में हाजिरी नही दी, 
सर न झुकाया। 

इस जिद्दी लड़के के इसी अंदाज का कायल हूँ। अब भले ही इसी अंदाज ने जिसने पंद्रह साल पहले, कांग्रेस का, राहुल का, देश का सितारा डुबोया था। 
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पर अच्छा लगता है, कि तमाम झँजवात में गिरने, बिखरने, टूटने के बावजूद भी कोई है जो डरा नही है, डिगा नही, बदला नही है। 

वो आज भी अड़ा है.. 
वहीं खड़ा है। 

भट्टा परसौल के किसानों से घिरा, नियमगिरी के आदिवासियों के बीच उस मंच पर, जहां से आती हुई आवाज, वैसी की वैसी रवानियत के साथ, कानो में गूंज रही है.. 

आई एम योर सोल्जर एट डेल्ही.. 
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और मैं कहता हूँ...बी देयर माई बॉय, 

योर एरा हैज कम...


लेखक कर्ता है आपका

Monday, July 15, 2024

आपको पता है अमेरिका में राष्ट्रपति की हत्या कब-कब हुई?

Photo : Convey of John f Kennedy

आपको बता दे कि अमेरिका में कब-कब राष्ट्रपति की हत्या कर दी गई? 

* 1865 में तत्कालीन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या कर दी गयी.
* 1881 में तत्कालीन राष्ट्रपति जेम्स गारफील्ड की हत्या कर दी गयी.
* 1901 में तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैककिंली की हत्या कर दी गयी.

इस हत्या के बाद अमेरिका की संसद (Congress) ने सीक्रेट सर्विस एजेंसी से अमेरिका के राष्ट्रपति को सुरक्षा मुहैया कराने का जिम्मा सौंपा.

1902 में सीक्रेट सर्विस एजेंट्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति को सुरक्षा देना शुरू कर दिया.

◆◆◆
तत्कालीन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने 14 अप्रैल 1865 में अपनी मौत से कुछ घण्टे पहले सीक्रेट सर्विस एजेंसी की स्थापना के अध्यादेश पर हस्ताक्षर किया था.

लेकिन सीक्रेट सर्विस की स्थापना सुरक्षा के लिए नही, जाली नोटों के कारोबार पर नकेल कसने के लिए की गई थी.

सीक्रेट सर्विस एजेंसी को ज्यादा अधिकारी दिया गया. हत्या, बैंक रॉबरी और गैरकानूनी जुआ की जांच करने के अलावा आंतरिक खुफिया एजेंसी का भी दायित्व सौंपा गया.

1908 में FBI की स्थापना के बाद सीक्रेट सर्विस एजेंसी ने अपना पूरा ध्यान राष्ट्रपति की सुरक्षा व्यवस्था में केंद्रित किया.

◆◆◆
1963 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी पहले राष्ट्रपति थे जिनकी हत्या सीक्रेट सर्विस एजेंट्स की सुरक्षा व्यवस्था में हुई.

डल्लास शहर के दौरे पर पहुंचते ही सीक्रेट सर्विस एजेंट्स ने राष्ट्रपति के लिमोजीन कार की छत को बंद रखा था.

हज़ारों लोग सड़कों पर कई घण्टों से राष्ट्रपति की एक झलक देखने के लिए खड़े थे. जॉन एफ कैनेडी ने जनता का अभिवादन स्वीकार करने के लिए लिमोजीन कार की छत को खुला कर करवा दिया.

सुरक्षा व्यवस्था में यह सबसे बड़ी चूक साबित हुई.

जॉन एफ कैनेडी के सिर में गोली मार दी गयी. उनकी पत्नी घबरा गयीं वो चीखने चिल्लाने लगीं 

पीछे के काफिले में चल रही सीक्रेट सर्विस एजेंट्स की कार से क्लिंट हिल नाम के सीक्रेट सर्विस एजेंट्स ने बहादुरी का परिचय देते हुए राष्ट्रपति की चलती कार पर कूद कर राष्ट्रपति की पत्नी को कवर किया.

◆◆◆

जॉन एफ कैनेडी की हत्या के बाद सीक्रेट सर्विस सुरक्षा में किसी भी राष्ट्रपति या भूतपूर्व राष्ट्रपति की जान नही गयी.

लेकिन हत्या करने की नाकाम कोशिश जरूर हुई.

1912 में तत्कालीन राष्ट्रपति थिओडोर रूसेवलेट पर जानलेवा हमला हुआ. 

1981 में तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन पर जानलेवा हमला हुआ. 

2024 में भूतपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमला हुआ.

◆◆◆

1968 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे रोबर्ट एफ कैनेडी की हत्या कर दी गई.

इस हत्या के बाद सीक्रेट सर्विस एजेंसी को राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को सुरक्षा देने का दायित्व सौंपा गया.

सीक्रेट सर्विस एजेंसी सिटींग राष्ट्रपति, उनका परिवार और भूतपूर्व राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को आजीवन सुरक्षा मुहैया कराती है.

आप लोगों को जानकारी कैसे लगी कमेंट बॉक्स में बताएं.


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Thursday, July 11, 2024

ज़िंदगी हो तो पूजा खेड़कर जैसी! क्या आप जानते हैं पूजा खेड़कर कौन है?

ज़िंदगी हो तो पूजा खेड़कर जैसी! 
क्या आप जानते हैं पूजा खेड़कर कौन है? यदि नहीं जानते तो चिंता करने की कौई बात नहीं। मैं बताता हूं आपको पूजा खेड़कर कौन है और वो चर्चा में क्यों है? 
दर असल आप जानते हैं कि यूपीएससी क्रैक करने अपने आप में कितना कठीन है और इसमें डॉक्यूमेंट की जाँच प्रक्रिया भी कठिन है। यूपीएससी होने के बाद भी IAS मिलेगा या नहीं ये भी चिंता का विषय होता है। 
OBC, SC, ST, EWS, PWD आदि जैसे वर्गों के लिए कुछ सीट आरक्षित होता है जिसके वजह से थोड़ा बहुत कम NO. होने पर भी अच्छा रैंक आ जाता है, उसके बाद उसके डॉक्युमेंट्स, PHYSICAL CONDITIONS देख कर CANDIDATE के IFS, IAS, IPS, IRS जैसे पदों के लिए चुना जाता है। 

अब आते हैं पूजा खेड़कर पर की वो चर्चा में क्यूं है? 
* दरअसल उसका UPSC में रैंक 821 आया मगर IAS मांगता मैं और लिया भी।
* ट्रेनी IAS अफ़सर पूजा के पैरेंट्स के पास संपत्ति 40 करोड़ 
 110 एकड़ कृषि भूमि, 6 दुकानें , 7 फ्लैट, 900 ग्राम सोना, हीरे, 17 लाख रुपये 
  की सोने की घड़ी, 4 कारों के साथ दो प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों में हिस्सेदारी है। 
  मगर अपुन नॉन-क्रीमी लेयर में आता है।  
* ट्रेनी IAS हैं मगर मुझे अपने सीनियर का ऑफिस कब्जाना है और कब्जाया भी।
* अपुन Audi पर नीली बत्ती लाल बत्ती मांगता है, गाड़ी का VIP नम्बर मांगता है और मिला भी।
* दरअसल पूजा खेड़कर अब तक मात्र अपने नख़रीले अंदाज़ के कारण चर्चा में थीं 
  और उनका ट्रांसफर हो गया था मगर अब सामने आया है कि इन्होंने दिव्यांग 
  कैटेगरी से सलेक्शन लिया और 821 रैंक के बाबजूद IAS बनी। 
* इन्हें UPSC ने छह बार मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया मगर ये नहीं गईं।


Sunday, July 7, 2024

क्या सच में लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति जैसे सम्मानित पदों पर ऐसे सवाल उठना वाकई में चिंता का विषय है?

राजदीप सरदेसाई जी ने अपने YouTube चैनल पर ओम बिरला जी और जगदीप धनकड़ जी को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि 

"लोकसभा में ओम बिरला जी और राज्यसभा में जगदीप धनकड़ जी दोनों ही लोग एकदम से Biased हैं, यह दोनों ही लोग अपने पद के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं। यह दोनों ही लोग वन साइडेड हैं।"

उन्होंने आगे यह भी कहा कि 

"राज्यसभा में तो TV की स्क्रीन पर जगदीप धनकड़ साहब ही दिखाई देते रहते हैं।"

दरअसल लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति का पद बेहद ही सम्मानित होता है और इसकी एक गरिमा भी होती है मगर 

अब इन पदों पर ऐसे सवाल उठना वाकई में चिंता का विषय है।

Source: Jaiky Yadav

Wednesday, July 3, 2024

राहुल गांधी का बालक बुद्धि इतना विकराल होगा? बालकबुद्धि है तब ये हाल है कि एक भाषण में 12 बार पानी पिलाया।


बालकबुद्धि है तब ये हाल है कि एक भाषण में 12 बार पानी पिलाया। 

वही बालकबुद्धि जब संसद में बोल रहा था तो खुद प्रधानमंत्री दो-दो बार खड़े हुए। पांच-पांच मंत्री लगे थे मिस्टर छुईमुई को बचाने में। और बालकबुद्धि?? 

वही बालकबुद्धि है जिसने तुम्हारा अहंकार तोड़ दिया और 400 पार के नारे का ये हाल हुआ कि नतीजे के बाद न हंस पाए, न रो पाए। 

कार्यकर्ताओं के सामने आए तो जैसे शोकसभा चल रही हो - 

आंख में आंसू, फीकी सी नकली हंसी... एक ही महीने में भूल गए? 

वही बालकबुद्धि है जिससे चुनाव लड़ने के लिए पूरी सरकार उतारनी पड़ती है। हिम्मत है तो पार्टी को पार्टी से चुनाव लड़ने दो! खरीदा हुआ आयोग, खरीदा हुआ मीडिया, सीबीआई, ईडी, आईटी और पूरी सरकार, ऊपर से धार्मिक उन्माद का ज्वार, तब भी न हुआ 250 पार! 

यह मजाक उड़ाना नहीं है। इसे खीज कहते हैं। हार के बाद भानुमती का कुनबा जोड़कर सरकार बनी है। जिन्हें मुस्लिमपरस्त कहा, उन्हीं से गठजोड़, पाखंड की सारी सीमा पार। 

चुनाव में हिंदुओं को भड़का रहे थे कि कांग्रेस मुसलमानों को आरक्षण देगी। अब मुसलमान को आरक्षण देने वाले से गठबंधन? हिंदू अंधा है? उसे दिखता नहीं, तुम्हीं अकेले होशियार हो? 

दस साल तक अरबों फूंक डाले उसी आदमी को पप्पू साबित करने में, सब पानी में गए। अब बालकबुद्धि लॉन्च किया है। यह मजाक उड़ाना उससे भी ज्यादा भारी पड़ेगा। 

 देश ने देखा कि कैसे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आपकी चर्चा उसी बालकबुद्धि पर केंद्रित रही। आपके भाषण का सार यही निकला कि आप कांग्रेस कांग्रेस कांग्रेस छोड़कर कुछ बोल ही नहीं सकते। 

असल में आप डरे हुए हैं इसलिए जब आपको अपने कार्यक्रमों और नीतियों पर बोलना है, तब राहुल गांधी से आतंकित होकर डीरेल हो जाते हैं।