वही बालकबुद्धि जब संसद में बोल रहा था तो खुद प्रधानमंत्री दो-दो बार खड़े हुए। पांच-पांच मंत्री लगे थे मिस्टर छुईमुई को बचाने में। और बालकबुद्धि??
वही बालकबुद्धि है जिसने तुम्हारा अहंकार तोड़ दिया और 400 पार के नारे का ये हाल हुआ कि नतीजे के बाद न हंस पाए, न रो पाए।
कार्यकर्ताओं के सामने आए तो जैसे शोकसभा चल रही हो -
आंख में आंसू, फीकी सी नकली हंसी... एक ही महीने में भूल गए?
वही बालकबुद्धि है जिससे चुनाव लड़ने के लिए पूरी सरकार उतारनी पड़ती है। हिम्मत है तो पार्टी को पार्टी से चुनाव लड़ने दो! खरीदा हुआ आयोग, खरीदा हुआ मीडिया, सीबीआई, ईडी, आईटी और पूरी सरकार, ऊपर से धार्मिक उन्माद का ज्वार, तब भी न हुआ 250 पार!
यह मजाक उड़ाना नहीं है। इसे खीज कहते हैं। हार के बाद भानुमती का कुनबा जोड़कर सरकार बनी है। जिन्हें मुस्लिमपरस्त कहा, उन्हीं से गठजोड़, पाखंड की सारी सीमा पार।
चुनाव में हिंदुओं को भड़का रहे थे कि कांग्रेस मुसलमानों को आरक्षण देगी। अब मुसलमान को आरक्षण देने वाले से गठबंधन? हिंदू अंधा है? उसे दिखता नहीं, तुम्हीं अकेले होशियार हो?
दस साल तक अरबों फूंक डाले उसी आदमी को पप्पू साबित करने में, सब पानी में गए। अब बालकबुद्धि लॉन्च किया है। यह मजाक उड़ाना उससे भी ज्यादा भारी पड़ेगा।
देश ने देखा कि कैसे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आपकी चर्चा उसी बालकबुद्धि पर केंद्रित रही। आपके भाषण का सार यही निकला कि आप कांग्रेस कांग्रेस कांग्रेस छोड़कर कुछ बोल ही नहीं सकते।
असल में आप डरे हुए हैं इसलिए जब आपको अपने कार्यक्रमों और नीतियों पर बोलना है, तब राहुल गांधी से आतंकित होकर डीरेल हो जाते हैं।
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