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Thursday, May 30, 2024

क्या आदिवासी समाज नक्सल है? All eyes on AADIVASI



आप लोग All Eyes on RAFAH या All Eyes on POK ट्रेंड करें, मुझे कोई दिक्कत नही है.

भारत से 4,000 किलोमीटर दूर दूसरे देश की आंतरिक समस्या पर हमारे लोगों में बहुत रुचि है. और होनी भी चाहिए. जहां कहीं भी शोषण और अत्याचार होता है आवाज उठानी चाहिए.

लेकिन हमारे देश के भीतर ही आदिवासी बहुल इलाकों में आदिवासियों को नक्सली बताकर मारा जा रहा है. उनकी ज़मीनी छीनकर कॉरपोरेट जगत को दी जा रही है. कॉरपोरेट जगत खनिज संपदा लूटकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं,

और यह सब आदिवासियों को कुचलकर किया जा रहा है.

आदिवासियों पर किया जाने वाला शोषण आज तक कभी किसी न्यूज़ चैनल पर राष्ट्रीय खबर नही बना.

गांधीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने बस्तर क्षेत्र में कई सालों तक काम किया है. उनका कहना है CRPF आदिवासियों को नक्सली बताकर मार देते हैं. बच्चों को भी नही छोड़ते. और यह सब गांव खाली कराने के नाम पर किया जाता है ताकि आदिवासियों की ज़मीन कॉरपोरेट को दी जा सके.

ALL EYES ON ADIVASI भी ट्रेंड होना चाहिए. हमारी संपन्नता, विकास और आधुनिकता, आदिवासियों को कुचलकर हासिल नही की जानी चाहिए.

Photo : TRIBAL WOMEN MILLION DOLLAR SMILE.

क्या सच में एलविश यादव पगला गया है?



आज आपको बताता हूं कि ध्रुव राठी और एलविश यादव में क्या अंतर है? और आपको यह भी बताऊंगा कि एलविश यादव को देखकर आपके बच्चों पर क्या फर्क पड़ेगा और ध्रुव राठी को देखकर क्या असर पड़ेगा?

देश में भीषण गर्मी पड़ रही है तो उस गर्मी के पीछे की वजह बताने के लिए ध्रुव राठी ने एक वीडियो बनाई उस वीडियो में ध्रुव राठी ने 

Trade winds 
El Nino 
La Nina 

जैसे तमाम साइंटिफिक टर्म्स बताकर समझा रहे हैं वहीं 

एलविश यादव की आज की ही वीडियो में वो बोल रहा है कि 

ये भगवान ने क्या कर रखा है यार, भगवान हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? टेंपरेचर 45, 46, 50 डिग्री पहुंच रहा है।

ध्रुव राठी अपने फॉलोअर्स को एक्चुअल साइंटिफिक रीजन बता रहा है गर्मी का, जबकि एलविश यादव ने अपने फॉलोअर्स को गर्मी बढ़ने का कारण भगवान को बताया है।

ईश्वर आस्था का विषय हैं मगर यहां एलविश यादव उन्हें गर्मी बढ़ने का रीजन बता रहा है।

पंचायत Season 3 आपको कैसा लगा?


Panchayat- 3 Review 
पहला एपिसोड- महा स्लो, दूसरा एपिसोड- बोरिंग, तीसरा एपिसोड- लास्ट में जाकर मामूली सा इंट्रेस्टिंग। चौथा, पाँचवा, छठा, सातवाँ एपिसोड वापस पुराने पंचायत के जैसा। मतलब अच्छा, काफ़ी अच्छा।

इस बार पंचायत के साथ दिक़्क़त शायद ये रही कि इसमें “प्रधानमंत्री आवास योजना” को अप्रत्यक्ष रूप से दिखाया गया। यूट्यूब के चलते चूँकि ब्रांड डील्स, और मार्केटिंग के लोगों से भी मिलना-जुड़ना हुआ। इसलिए इसकी संभावनाएँ लगती हैं कि पंचायत के सीजन-3 में सरकारी स्पॉन्सरशिप का पैसा लगा। अन्यथा ऐसे सीधे बिना पैसे के कोई प्रमोट नहीं करता। इतना तो समझ आता ही है। शुरुआती तीन एपिसोड बोरिंग होने का कारण यही है। प्रधानमंत्री आवास योजना को फिट करने में कहानी नहीं बन सकी। दूसरा- उप प्रधान @malikfeb जिन्हें लोग हंसने, खेलने गुदगुदाने के लिए देखना चाहते हैं। उन्हें शुरुआती 3 सीजन में रुलाने में ही खर्च कर दिया गया। एक सही आदमी को ग़लत काम लंबे समय तक खिंचाया। ओवरऑल जितना सीरीज़ निर्माता अपनी इस सीरीज़ से आत्मीय तौर पर जुड़े हुए हैं। उतना ही दर्शक के रूप में हम भी उनके काम से इमोशनली जुड़े हुए हैं। पंचायत अब सीरीज़ ही नहीं बल्कि भावनाओं का एक सामूहिक मिलन है। बाक़ी के दो सीजन इतने अधिक अच्छे रहे कि तीसरा सीजन उसके आगे हल्का पड़ रहा है। हालाँकि पंचायत के दर्शक होने के नाते सभी एपिसोड देखे, अन्यथा शुरुआती तीन एपिसोड ने भयंकर बोर किया। लेकिन अंत तक आठवाँ एपिसोड आते आते उस बोरियत की भरपाई हुई। कुल मिलाकर अच्छा सीजन है। हालाँकि शुरुआत में इतना बोर कर दिया कि बाक़ी एपिसोड के अच्छे होने के बावजूद प्रशंसा के लिए दिल उतना खुल नहीं पा रहा जितना कभी पंचायत के पहले दो एपिसोड की प्रशंसा की। पंचायत के डायरेक्टर और लेखक पर अब काम अतिरिक्त बढ़ चुका है। उनसे अपेक्षाएँ अधिक बढ़ चुकी हैं। उन्होंने पिछले दो सीजन में इतना अच्छा काम कर दिया है कि अब दर्शक के रूप में उस बेहतरीन काम में कुछ भी उन्नीस बीस हम नहीं चाहते। पंचायत में लास्ट में गोलीबारी के जो सीन दिखाए वह पंचायत को गैंग्स ऑफ़ वासेयपुर बनाते हैं। संभवतः पंचायत की खूबी उसके पंचायत होने में है। उस निर्दोषपन को बचाए रखने में ही डायरेक्टर पंचायत के तत्व को बचा पाएँगे। बहुत हल्की हल्की शिकायतें हैं। बाक़ी सब प्रशंसा। पंचायत के प्रत्येक करेक्टर और उसकी एक्टिंग की मुक्त कंठ से प्रशंसा। व्यक्तिगत रूप से मैं- उप प्रधान, प्रधान, सहायक सचिव की एक्टिंग का फैन हूँ। पंचायत की बाक़ी टीम के भविष्य के लिए शुभकामनाएँ। उम्मीद करता हूँ मेरी आलोचना को वे व्यक्तिगत नहीं लेंगे।

#Panchayat #AmazonPrime

Wednesday, May 29, 2024

हार्दिक पांड्या और सर्बियन मॉडल नताशा के बीच तलाक का कारण क्या हो सकता है?



क्रिकेटर हार्दिक पांड्या सर्बियन मॉडल नताशा के साथ रिश्ते में आने से पहले एक बंगाली मॉडल लिशा के साथ लिव इन रिलेशनशिप में था।जब फेम मिली तो उस ने ब्रेक अप किया और अभिनेत्री एली अवराम के साथ लिव इन में रहने लगा।इसी दौरान नताशा भी अभिनेता अली गोनी जो आजकल ऋतिक रोशन की भूतपूर्व पत्नी सुजान के साथ लिव इन में रहता है उस के साथ लिव इन में रहती थी।फिर उन का ब्रेक अप हुआ और उस ने कारोबारी सेम मर्चेंट के साथ रहना शुरू किया। सैम की ही एक पार्टी में नताशा और हार्दिक मिले।फिर दोनो की मुलाकाते बढ़ी और दोनो ने अपने अपने पार्टनर के साथ ब्रेक अप किया ।दोनो एक साथ रहने लगे ।

फिर नताशा प्रेगनेंट हुई।हाला की उस ने शादी का जोर नही डाला था फिर भी हार्दिक ने शादी की।अब आप लोग को ये बात हजम न हो लेकिन भारत में काले या सांवले लोगो को गोरे बालक का मोह तो रहता ही है ! आम तौर पर कैथोलिक सर्बियन या रशियन लड़किया पहले चाहे जितनी वाइल्ड हो,शादी के बाद टिपिकल हाउस वाइफ बन जाती है।नताशा भी बनी।हार्दिक लड़कीबाज़ है ये बात ओपन सीक्रेट है।हार्दिक ने नताशा की प्रेगनेंसी के बाद नताशा के साथ शादी की।ये कम था इस के चलते पिछले साल दोबारा उस ने नताशा के साथ धूम धाम से ब्याह रचाया था ।फिर पिछले साल के मानसून में लंदन में एक लड़की के साथ नताशा ने हार्दिक को पकड़ा था।जब रिश्ते में बच्चा हो जाए न तो बहुत सारी चीजे एडजेस्ट हो जाती है।बच्चे के चलते नताशा ने वो मामला बढ़ाया नही।अब उस के बाद हार्दिक सुधरा या नही इस बात पर तलाक की खबरे निर्भर करती है।

और एक पीआर खबरे फैला रहा की नताशा इतने पैसे लेगी एंड ऑल,कोर्ट में बैठे बूढ़े जज मूडी होते है लेकिन पागल नही ! पीड़िता के पास जरूरत की ठोस वजह , उस के पार्टनर ने शादी में धोखा किया इस के पुख्ता सबूत या शारीरिक हिंसा के सबूत ये तीनो में से किसी भी खास चीज के सबूत न हो तो कोर्ट औरतों की नही सुनती ! बॉलीवुड के मशहूर तलाक जिस में पत्नी को दबाकर पैसे मिले जैसे की आमिर और किरण का तलाक या ऋतिक और सुजैन का तलाक।दोनो की अपनी वजह है।आमिर और किरण ने सिर्फ और सिर्फ अपनी इस्टेट को सिक्योर करने के लिए तलाक लिया है।रहते दोनो साथ ही है ।ऋतिक को सूजन ने एक अभिनेत्री के साथ पकड़ा था ।फिर उन का तलाक हुआ तब बातचीत के साथ प्रॉपर्टी बांटी गई आउट ऑफ कोर्ट जिसे कोर्ट में सिर्फ अप्रुव करवाया गया ।आज भी वो लोग अच्छे दोस्त है और अपने अपने पार्टनर के साथ मजे कर रहे ।बच्चो के नाम पर प्रॉपर्टी सेटल कर रहे !भूषण कुमार और दिव्या का सेम सीन है।भूषण ने सरे आम दो लड़कियों को रखा है। उस में से एक नंबर वन आइटम गर्ल है और दूसरी को आप भाभी २ के नाम से जानते है ! लेकिन दिव्या जानती है की भूषण अपने बच्चे से बहुत प्यार करता है इसलिए वो तलाक नहीं ले रही ।

मोहमद शामी बाद में चाहे जितना बड़ा प्लेयर बना हो या जो भी हो,कोर्ट में उस की शातिर पत्नी ने शामी की हिंसा और बेवफाई के सबूत पेश किए थे ।आजकल कोई भी असली नकली खबर या अफवाह देख कर लोग आसानी से प्रतिक्रिया दे देते है लेकिन चीजे जैसी दिखती है वैसी होती नही है !

हार्दिक पांड्या ने शादी से पहले बच्चा किया
हार्दिक पांड्या ने पहले कोर्ट मैरिज की
हार्दिक पांड्या ने फिर क्रिश्चियन रीति रिवाज से शादी की
हार्दिक पांड्या ने फिर हिंदू रीति रिवाज से शादी की

वैसे तो शादी होने पर अपने पार्टनर के साथ सब इन्वॉल्व होते हैं मगर हार्दिक पांड्या ने इसे तरह तरह के उत्सव मना कर और भी बहुत complicated बना लिया था।

इतना सब होने के बाद हार्दिक पांड्या की मनोदशा का अंदाज़ा उनके सिवाय और कोई भी नहीं लगा सकता है।
जिस मां के नाम प्रॉपर्टी बना रहा है शादी से पहले बच्चा करते मां का खयाल नहीं आया क्या।

पति पत्नी का तो चांस 1% है, भाई भाई का संपति विवाद तो युगों से देखा है।
अब तो माएं भी अधिकार हड़प लेती है, वैसे भी उनका रिश्ता तो  शुरू से अटपटा था। 
हार्दिक को देखकर लग रहा की प्रेगनेट करने के केस से बचने के लिए शादी कर ली फिर 8 महिने की गर्भवती पत्नी से हिन्दू रीति रिवाज से शादी कर ली। तब मां की याद और बाप की इज्जत का खयाल नहीं आया होगा उसको।

Post Credit: Aradhya Yadav

Friday, May 10, 2024

मोदी जी अपने कार्यकाल में कितनी सरकारी कंपनियां बनाई??



जवाहरलाल नेहरू ने 33 सरकारी कंपनी बनाई.

धरती के लाल, लालबहादुर शास्त्री ने अपने छोटे से कार्यकाल में 5 सरकारी कंपनियों का निर्माण किया.

इंदिरा गांधी ने सरकारी कंपनी बनाने में अपने पिता को भी पीछे छोड़ दिया. इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए 66 सरकारी कंपनी बनाई.

मोरारजी देसाई ने 9 और राजीव गांधी ने 16 सरकारी कंपनी बनाई.

न्यायप्रिय वीपी सिंह ने 2 और पीवी नरसिम्हा राव ने 14 सरकारी कंपनी का गठन किया.

एच डी देवी गौड़ा 3, आई के गुजराल 3 और अटल बिहारी वाजपेयी ने 17 सरकारी कंपनी का गठन किया. लेकिन 7 बड़ी कंपनियों को बेचा भी.

मनमोहन सिंह ने अपने 10 साल के कार्यकाल में 23 सरकारी कंपनी बनाई. और 3 को बेचा.

भारत के इतिहास में नरेंद्र मोदी ही एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने एक भी सरकारी कंपनी नही बनाई. बल्कि 23 सरकारी कंपनियों को बेच दिया.

मेरा काम आप लोगों को जानकारी से अवगत कराना है. बाकी आप समझदार हैं. जो मीडिया नही बताता वो मैंने बता दिया.

अब आगे क्या फैसला लेना है, निर्णय आपके हाथ में है.