08-Apr-2019
07-Apr-2019
"कौन कहता, कि मैं रंग नहीं खेलता?"
ख्वाहिशें नहीं रंग लगाने की,
ख्वाहिशें है आपके रंगों में रंगे रह जाने की।
जी नहीं करता कभी रंग बदलने की।।
आपके रंगों ने हर रंग को कर दिया है फीका।
मैं तो हमेशा लगाए हूं फिरता।
आप तो रंगों की सरोबर हो,
क्या मतलब रह जाता आपको रंग लगाने का।
कौन कहता, कि मैं रंग नहीं खेलता?
आपके श्रंगार का रंग, जिसे मैं शब्दों में पिरोता हूं।
आपके आँखों का रंग, जिनमे में हमेशा डुब जाता हूं।
उन डुबकीयों से मैं हमेशा शब्द ढूंढ लाता हूं।
और हर रंगो से ज्यादा रंगीन बनाने का प्रयास मैं करता हूं।
कौन कहता, कि मैं रंग नहीं खेलता?
होली खेलना तो मुझे जरुरी नहीं लगता?
आपका याद हि काफी हो जाता,
चेहरा गुलाबी हो जाता।
कोई अगर बोले बुरा-भला,
चेहरा लाल-पीला हो जाता।
कौन कहता, कि मैं रंग नहीं खेलता?
मुझे चाह नहीं उस लाल-गुलाबी गुलाब की,
जो वक्त के साथ अपना रंग खो जाए,
मुझे वो कांटा ही पसंद है, जो अपने रंग मैं ही रंग जाए।
आपके गालों की वो ख़ूबसूरत सी महकें,
आज भी हमारे रंगों मैं सामिल है,
वही तो मैं लगा बैठा हूं! जो हर रंग को फीका कर देता है।
कौन कहता, कि मैं रंग नहीं खेलता?
कौन कहता, कि मैं रंग नहीं खेलता?
-सत्यम् कुमार सिंह
06-Apr-2019
05-Apr-2019
04-Apr-2019
03-Apr-2019
"चाह"
ऐ हवा!
मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ,
तुम्हारी आँखे कितनी तेज़ दृष्टि वाली हैl
दूर-दूर तक देख लेते हो तुम,
सायद मुझे भी देख लेते होगे तुमll
मैं वो मिट्टी का धूल हूँ,
जो उड़ चला हू तुम्हारे साथ,,
पता नहीं क्या होगा मेरे साथ,
साँसे रही तो, मैं जग में समाउँगा,
नहीं तो, धूल हु, मिट्टी मैं समाजाउंगा ll
-सत्यम् देवु
02-Apr-2019
"सफलता पहले से की गई तैयारी पर निर्भर होती है, और बिना तैयारी के असफलता निश्चित है. अगर आज के दिन को आप खा कर, सो कर, टाइम पास करके यूं ही बरबाद कर रहे हैं तो आने वाले समय मे अच्छे भविष्य की कोई उम्मीद मत कीजिए."
01-Apr-2019
31-Mar-2019
"हालात"
सूखे पत्ते जैसी हालत हो गयी है,
ना जाने पाँव क्यू बंध सी गई है,,
हवा ने अपना रुख मोड़ा,
हम भी मुढते चले जा रहे हैं,,
कोई ठिकाना नहीं,
हम कहाँ जा रहे हैं
-Satyam_Devu