EWS (Economically Weaker Sections) आरक्षण, जो सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10% आरक्षण देता है, को लेकर "अन्याय" का आरोप निम्नलिखित आधारों पर लगाया जाता है:
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1. संवैधानिक और सिद्धांतगत विवाद
* सामाजिक न्याय के सिद्धांत से विचलन: भारतीय संविधान में मूल आरक्षण का
आधार सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ापन (अनुच्छेद 15-16) रहा है, न कि
केवल आर्थिक स्थिति। EWS आरक्षण ने पहली बार आर्थिक आधार पर सामान्य
वर्ग को विशेषाधिकार दिया, जो संविधान के मूल ढाँचे (Basic Structure) के
खिलाफ माना जाता है।
* उच्चतम न्यायालय में आपत्तियाँ: 2022 के जनहित याचिका बनाम भारत
संघ मामले में कुछ न्यायाधीशों ने कहा कि EWS आरक्षण "समानता के
अधिकार" (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह SC/ST/OBC के
गरीबों को बाहर करता है।
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2. SC/ST/OBC के गरीबों का बहिष्कार
EWS आरक्षण के नियमों के अनुसार, SC/ST/OBC वर्ग के लोग, चाहे वे कितने भी गरीब क्यों न हों, इस कोटे का लाभ नहीं उठा सकते। यह व्यवस्था "दोहरी अयोग्यता" पैदा करती है:
* उदाहरण: एक दलित परिवार जिसकी आय ₹2 लाख सालाना है, वह EWS का
लाभ नहीं ले सकता, जबकि सामान्य वर्ग का व्यक्ति ₹8 लाख तक आय होने पर
भी EWS कोटे का हकदार है।
* आँकड़े: NSSO के अनुसार, SC/ST समुदायों में गरीबी दर (20-30%) सामान्य वर्ग
(15-20%) से अधिक है। ऐसे में, EWS का लाभ SC/ST/OBC के गरीबों तक न
पहुँचना भेदभावपूर्ण है।
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3. आर्थिक मापदंडों की समस्याएँ
* ₹8 लाख की आय सीमा: EWS के लिए यह सीमा OBC के "क्रीमी लेयर" के
बराबर है, जिसे अवास्तविक और उच्च माना जाता है। शहरी क्षेत्रों में ₹8 लाख
आय वाला व्यक्ति "गरीब" नहीं होता, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आय पर्याप्त
हो सकती है।
* संपत्ति का मापदंड: 5 एकड़ से कम ज़मीन या 1000 वर्ग फुट से छोटे घर वाले
ही EWS के पात्र हैं। यह मापदंड शहरी-ग्रामीण असमानता को नज़रअंदाज़ करता
है।
* असमान वितरण: आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए व्यक्तिगत आय के
बजाय परिवार की समग्र स्थिति (जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, ऋण) देखना ज़रूरी है,
जो EWS में नहीं है।
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4. राजनीतिक एजेंडा और सामाजिक न्याय की उपेक्षा
* सामाजिक पिछड़ेपन की अनदेखी: EWS आरक्षण यह मानकर चलता है कि
सामान्य वर्ग के गरीबों को केवल आर्थिक सहायता चाहिए, जबकि SC/ST/OBC
को सदियों के जातिगत उत्पीड़न और संरचनात्मक असमानता का सामना करना
पड़ा है।
* आरक्षण का उद्देश्य: मूल आरक्षण सशक्तिकरण के लिए था, जबकि EWS
"गरीबी उन्मूलन" का औज़ार बन गया, जो सरकारी नौकरियों तक सीमित है।
* राजनीतिक लाभ: EWS को "सवर्ण वोट बैंक" को लुभाने के लिए एक जनवादी
कदम माना जाता है, न कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से डिज़ाइन किया गया
उपाय।
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5. वैकल्पिक समाधान: क्या हो सकता था?
* सार्वभौमिक आर्थिक आरक्षण: अगर EWS सभी वर्गों के गरीबों (SC/ST/OBC
सहित) के लिए होता, तो यह न्यायसंगत होता।
* आय के स्थान पर बहुआयामी गरीबी सूचकांक: स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, और
ऋण जैसे पैमानों पर गरीबी मापी जानी चाहिए।
* मौजूदा आरक्षण के साथ समन्वय: SC/ST/OBC कोटे में आर्थिक कमजोरों को
प्राथमिकता दी जा सकती थी, ताकि "क्रीमी लेयर" को रोका जा सके।
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निष्कर्ष: "अन्याय" क्यों?
EWS आरक्षण अन्यायपूर्ण है क्योंकि:
1. यह सामाजिक न्याय के सिद्धांत को कमजोर करता है।
2. SC/ST/OBC के गरीबों को दोहरी अयोग्यता का शिकार बनाता है।
3. आर्थिक मापदंड अव्यावहारिक और अपर्याप्त हैं।
4. यह राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित लगता है, न कि समानता के लिए।
समाधान: आरक्षण की नीति को सामाजिक + आर्थिक पिछड़ेपन के संयुक्त आधार पर डिज़ाइन किया जाना चाहिए, ताकि वंचित समूहों के साथ-साथ सभी वर्गों के गरीबों को न्याय मिल सके।
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