यजीदी धर्म की जड़े 3000 हज़ार साल से भी ज्यादा पुरानी हैं जो ज़ोरोस्ट्रीयन धर्म की आस्था से जुड़ी हैं.
यजीदी धर्म मूल रूप से 11वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया, जिसे उत्तरी इराक में रहने वाले कुर्दिश नस्ल के कुरमंजी भाषी लोगों ने अपनाया.
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2014 में ISIS आतंकवादियों ने 40,000 यजीदियों को मौत के घाट उतार दिया.
नरसंहार से बचने के लिए यजीदी उत्तरी इराक की सिंजर की पहाड़ियों पर पनाह ली. यजीदी महिलाओं और बच्चियों को ISIS ने बाजारों में खुलेआम बेचा.
ऐसा पहली बार नही हुआ है. 11वीं शताब्दी से लेकर अब तक यजीदियों का कई बार नरसंहार किया गया है.
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कौन हैं यजीदी. दुनिया इनके बार में काफी कम जानती है कारण यहूदियों की तरह इनको कभी यूरोप और अमेरिका का उतना समर्थन नही मिला है.
यजीदी कुर्दिश जनजाति का धर्म है. कुर्दिश अपनी गोरी चमड़ी को बचाए रखना चाहते हैं. रक्त शुद्धता के विचार में यकीन करते हैं. इसी कारण यजीदी धर्म में धर्मांतरण नही होता.
पूरी दुनिया में मुश्किल से 11 लाख यजीदी हैं. इनमें से 7 लाख उत्तरी इराक में रहते हैं और जर्मनी में 2 लाख. बाकी रूस अरमेनिया ऑस्ट्रेलिया यूरोप और अमेरिका बसे हैं.
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यजीदी समुदाय के भीतर की आंतरिक संरचना इस प्रकार है. यजीदी धर्म तीन जातियां में विभाजित है.
1) पीर पुजारी वर्ग
2) शेख वर्ग
3) मुरीद वर्ग
शेख वर्ग में दो उपजातियां हैं - शासक जाति और धर्म गुरु या इमाम. इन्हें पीर अर्थात पुजारी बनने का पूरा अधिकार है.
मुरीद वर्ग में दो उपजातियां हैं - कोचेक (वेद), फकीर और आम जनमानस. फकीर को रुआबदार मूंछे रखने का हक़ नही और ना ही उन्हें शराब पीने का हक़ है.
शेख और मुरीद वर्ग आपस में अंतरजातीय विवाह नही कर सकते. सभी समुदाय को अपने वर्ग में ही विवाह करने का अधिकार है.
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आप लोग जानकर हैरान हो जाएंगे कई सदी तक यजीदी धर्म में पढ़ने लिखने का अधिकार केवल पीर यानी पुजारी वर्ग को ही था.
यजीदी सूर्य के उपासक हैं. 14वीं शताब्दी तक उत्तरी इराक और पूर्वी टर्की में यजीदियों की अच्छी खासी जनसंख्या थी.
लेकिन इस्लाम ने यजीदी मुरीद समुदाय को अपने ओर आकर्षित कर लिया. बड़ी संख्या में यजीदी मुरीद मुसलमान बन गए.
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जैसे ज़ोरोस्ट्रीयन धर्म लगभग खत्म होने की कगार पर है, यजीदी धर्म भी अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है.
यहूदी धर्म को अलग देश के रूप में इजरायल नही मिला होता तो यह भी धर्म भी अपने अस्तित्व को बचाने में जूझ रहा होता.
ज़ोरोस्ट्रीयन धर्म, यजीदी धर्म दोनों की जड़े इंडो ईरानियन है. यहूदी धर्म अब्रामिक धर्म है. तीनो धर्म में एक समानता है, कालांतर में एक खास जाति को पुजारी बनने का अधिकार है. येही समानता इन धर्मो में असमानता को दर्शाती है.
Photo : Yazid Women Holding Yazidi Temple Design
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ये यजीदी समुदाय की कहानी सुनकर रोंगटे खड़े हो गए। 73 बार नरसंहार, ISIS का वो बर्बरता भरा अत्याचार, और फिर भी ये लोग अपनी पहचान और धर्म बचाए हुए हैं—ये तो सुपरहीरो स्टोरी से कम नहीं! लेकिन सवाल ये है, दुनिया कब तक इनकी चीख सुनकर भी अनदेखा करती रहेगी? इनके लिए इंसाफ और सुरक्षा कब आएगी, या फिर बस ट्वीट्स और आर्टिकल्स तक सीमित रह जाएगा सब? ये बहुत हीशर्म की बात है!
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