अभी जैसे करीब एससी-एसटी के लिए 23% आरक्षण है। इसमें जाति को लेकर किसी तरह का वर्गीकरण नहीं है। अब होगा यह कि इसमें सरोज, जाटव, मीणा, धोबी जैसी जातियों के कोटे निर्धारित हो जाएंगे। फिर हमें यह देखने को नहीं मिलेगा कि एक परीक्षा में एससी-एसटी कोटे से सिर्फ मीणा या फिर जाटव ही नजर आ रहे। सब नजर आएंगे। सबकी स्थिति बेहतर होगी।
कुछ लोग कहते हैं कि आरक्षण जाति के आधार पर नहीं बल्कि सामाजिक भेदभाव पर दिया गया है। हां यह सही बात है लेकिन सामाजिक भेदभाव जब तक खत्म नहीं होगा क्या उन्हीं परिवारों को लाभ मिलता रहेगा जो चार-चार पीढ़ियों से आरक्षण के चलते सिस्टम में हैं। उनके पास घर-गाड़ी, बंगला है।
दलित वर्ग के शिक्षित और सफल लोगों को अपने समुदाय के लोगों की फिक्र करनी चाहिए थी लेकिन वह सिर्फ जातीय पहचान को बढ़ावा देने और उसे बनाए रखने के लिए फिक्रमंद दिखते हैं। आप अपने गांव में देखिए, जो संपन्न हो गए हैं वह अपने ही वर्ग के लोगों का अपमान करने का मौका नहीं छोड़ते। आर्थिक मजबूती से उनके अंदर एक समांती सोच घर कर जाती है।
आप सबको ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करना चाहिए। इसके लागू होने से दलित वर्ग की बाकी जातियों को लाभ होगा। अगर आपको लगता है कि दूसरे योग्य नहीं हैं तो आप बताएं कैसे योग्य होंगे? मौका मिलेगा तभी तो होंगे न! आप तो अपने ही भाई बंधुओं को मौका नहीं देना चाहते।
बाबा साहेब अम्बेडकर आज होते तो वह भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते।
_✍️ Rajesh Sahu
No comments:
Post a Comment