बेपरवाह बेरोजगारी से..
कभी सोचा आपने, की मोदी सरकार कभी महंगाई और बेरोजगारी को एड्रेस क्यो नही करती??
इसके दो पहलू है।
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पहला- पैसा!!!
भाजपा, पैसों की लालची पार्टी है। एक दौर में बनियों का दल कहलाने वाले दल की बेसिक तासीर यही है- चुपचाप स्वीकार कर लीजिए।
पैसा हर मर्ज की दवा है।
और मोदी ब्रांड राजनीति में इसकी जरूरत असीम हैं।
साल में 5 शानदार चुनाव लड़ने के लिए, मीडिया खरीदने के लिए, होर्डिंग, पोस्टर, पैम्फलेट से देश को पाट देने के लिए,
सांसद विधायक खरीदने के लिए,
रिजॉर्ट बुक करने के लिए...
बूथ मैनेजमेंट के लिए, रैलियां करने के लिए,
तगड़ा धरना प्रदर्शन करने के लिए, कार्यकर्ताओ की विशाल फौज को लगातार एंगेज्ड रखने को छोटे छोटे कार्यक्रम ऑर्गनाइज करने के लिए...
पैसा एसेंशियल है।
यह मजदूरी करके नही आता।
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आरएसएस से लेकर बजरंग दल तक, विवेकानंद फाउंडेशन से लेकर वनबंधु परिषद तक, भाजपा के हजारों आनुषंगिक संगठन हैं।
और जिस मजबूत संगठन के आप कसीदे पढ़ते हैं, दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के उन कार्यकर्ताओं का काम, चना फांक कर नही चलता।
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70 साल सत्तावान रही कांग्रेस के पास, आपके शहर में एक किराए की झोपड़ी है। भाजपा के ऑफिस में तीन तल्ले हैं।
सैंकड़ो कम्यूटर हैं, वर्कर है, डेटा है, कालिंग है, सॉफ्टवेयर है, मोनिटरिंग है, कंसल्टेंट हैं, सर्वे है, कभी खत्म ब होने वाला काम है।
कांग्रेस के पास बूथ पर वर्कर नही, भाजपा की छतरी हर जगह है। एक बूथ पर एक दिन टीम बिठाने का का खर्च लाख रुपये होना, सस्ता एस्टिमेट हैं। इसमे रात को वोटरों में बंटे पैसे शामिल नही।
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आईटी सेल है, कम्युनिकेशन प्रोपगेंडा की टीम है, कण्टेट क्रियेटर हैं।
खरीदा और कब्जाया हुआ डेटा है।इलेक्शन कमीशन से जुगाड़े गए, और दवा दुकानों, रेस्ट्रोरेंट की चेन, होटलों, बिग बाजारों में बिलिंग के समय लिखवाए गए आपके फोन नंबर्स हैं।
आपके धार्मिक-पोर्न- पॉलीटकल ग्रुप में फार्वर्ड भेजने वाले वर्कर हैं।ये वेतनभोगी लोग हैं।
आपकी पोस्ट पर ट्रोल करने आई फर्जी आईडी को उस कमेंट के लिए महज 2 रुपये मिले। अब सोशल मीडिया पर हर दिन किये गए कमेंट्स का खर्च जोड़िये।
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कौन देगा इतना पैसा- कारपोरेट
क्यूँ देगा- बिजनेस पाने के लिए
मुनाफे के लिए, कम से कम इन्वेस्टमेंट में ज्यादा से ज्यादा कमाने के लिए। फ्री लैंण्ड, टैक्स छूट, सस्ता कर्ज, कर्ज की माफी पाने के लिए।
फेयर कॉम्पटीशन के लिए नही, वह मोनोपॉली के लिए पार्टी को पैसे देगा। बैक डोर ठेके के लिए देगा। 2रु की दवा, राशन, कपड़े, कॉमेंटिक्स, सुविधा, सेवा को 200 में बेचने के लिए देगा।
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सरकार महंगाई कन्ट्रोल करे, तो कारपोरेट का मुनाफा कम होगा। फेयर कम्पटीशन को बढ़ने दे, तो मुनाफा कम होगा। ऑटोमेशन और ठेके की जगह जॉब्स बढाने की पॉलिसी बढ़ाये- कारपोरेट का मुनाफा कम होगा।
हर वो नीति, हस्तक्षेप, जो जनता की जेब में पैसा बचाएगी, उतना पैसा, उस कारपोरेट की जेब मे जाने से रह जायेग।
यह उसका नुकसान है। इस नुकसान के लिए वह पार्टी को फंड तो करेगा नही। और जिस तरह का "प्रभावी सांगठनिक कौशल" बीजेपी का है, वह फंड के बगैर शून्य है।
एक बार सोचकर देखिए।
जितने पैसे में कोई दल, पूरे जिले की सब सीटें लड़ लेता है, भाजपा उतना एक सीट पर खर्च करती है। यह सिर्फ इलेक्शन के वक्त दिखा, भाजपा इसे 24X7 बेसिस पर चालू रखती है।
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सिम्पल ऑब्जर्वेशन है। आपकी आंखों देखी है। लेकिन लोग सोचते नही।
कायदे से, बढ़ती महंगाई और घटते रोजगार का बेरोजगार का नजला, तो चुनावो में मिलना चाहिए। पर आप वोट बेरोजगारी और महंगाई पर नही देते।
राम, मुसलमान और पाकिस्तान पर देते हैं।काफी पैसे खर्च कर, आपको सीखा दिया गया है कि सिर्फ रामद्रोही, पाकिस्तानी, और मुसलमान ही भाजपा के खिलाफ हो सकते हैं।
काफी पैसा खर्च कर आपको रटाया गया कि कारपोरेट फंड्स पर सवाल उठाने वाले वामपन्थी हैं। पूंजी विरोधी है, रूसी चीनी नक्सली हैं।
और फिर पाकिस्तानी, चीनी, नक्सली आप नही है, इसलिए भाजपा को वोट करते हैं। हिन्दू हैं, रामभक्त हैं, बीजेपी को वोट देंगे ही।
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भाजपा को इसलिए न महंगाई की चिंता है, न बेरोजगारी की। उसे अपना संगठन पालना है, आपके बच्चे नही।
उसकी प्राथमिकता, महंगाई बढ़ाए रखना है। मुनाफा, फंडिंग बढ़ाये रखना है।
और आपको पगलाए रखना है।
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इस पोस्ट के नीचे भी ऐसे कमेंट करने वाले आएंगे, जिन्हें मिलने वाले 2 रुपये, उसी मुनाफे से मिल रहे है.. जो उनके बापो को रोटी, कपड़ा, तेल, दवा - बेजा कीमत पर बेचकर वसूला गया था।
इन जैसो क, ऐसे वोटरों के रहते, मोदी बहुमत या अल्पमत में शपथ लेते रहेंगे। और ठसके से कहेंगे।
मतलब नही महंगाई से
बेपरवाह हूँ बेरोजगारी से..
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